Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e71bff550815ebae0916c27f665882b7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हवेली मौत की दहलीज़ पर - ऐन ताबिश कविता - Darsaal

हवेली मौत की दहलीज़ पर

हवेली मौत की दहलीज़ पर कब से खड़ी है

चाँद ने बुझ कर

सितारों ने उदासी ओढ़ कर

फूलों ने ख़ुश्बू का लिबादा फेंक कर

माहौल पस-अज़-मर्ग का तय्यार कर डाला है

बस इक आख़िरी हिचकी के सब हैं मुंतज़िर

सारे अइज़्ज़ा-ओ-अक़ारिब नौहा-ख़्वानी के लिए

तय्यार बैठे हैं

हवेली मौत की दहलीज़ पर कब से खड़ी है

उस के मरने में अगर कुछ देर बाक़ी है

तो चल कर दूसरे कुछ काम कर डालें

सदी का दूसरा अश्रा

नए आग़ाज़ के पुल पर खड़ा हो कर

समुंदर की बिफरती मौज को ललकारता है

वक़्त के ग़व्वास

सीपों में गुहर खंगालते हैं

इब्न-ए-आदम के क़बीले

रूह-ए-मश्रिक की पुरानी घाटियों से

इक इक कर के निकलते हैं

बुख़ारा ओ समरक़ंद उज़बेकिस्तान ओ हिरात

सब पे छाई है अँधेरी सख़्त रात

लखनऊ और अकबराबाद अपनी शौकत खो रहे हैं

मर्हबा शाम-ए-ग़रीबाँ

अब तो चल कर दूसरे कुछ काम कर डालें

हवेली मौत की दहलीज़ पर कब से खड़ी है

(837) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Haweli Maut Ki Dahliz Par In Hindi By Famous Poet Ain Tabish. Haweli Maut Ki Dahliz Par is written by Ain Tabish. Complete Poem Haweli Maut Ki Dahliz Par in Hindi by Ain Tabish. Download free Haweli Maut Ki Dahliz Par Poem for Youth in PDF. Haweli Maut Ki Dahliz Par is a Poem on Inspiration for young students. Share Haweli Maut Ki Dahliz Par with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.