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मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही - ऐन ताबिश कविता - Darsaal

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही

रक़्स में है दिल-ए-दीवाना कि महफ़िल है वही

ये अलग बात न वो तमकनत-आरा है न मैं

है चमन भी वही और शोर-ए-अनादिल है वही

वही लैला-ए-सुख़न अब भी सरापा-ए-तिलिस्म

मेरी जाँ अब भी वही है कि मिरा दिल है वही

दश्त-ए-हैरत में वही मेरा जुनूँ महव-ए-ख़िराम

आ के देखो कि यहाँ गर्मी-ए-महफ़िल है वही

उस में जो डूब गया पार उतर जाएगा

मौज-दर-मौज वो दरिया है तो साहिल है वही

आज भी उस के मिरे बीच है दुनिया हाइल

आज भी उस के मिरे बीच की मुश्किल है वही

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