हादिसा कौन सा हुआ पहले
रात आई कि दिन ढला पहले
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आहों की आज़ारों की आवाज़ें थीं
मिरा वजूद जो पत्थर दिखाई देता है
ग़र्क़ होते जहाज़ देखे हैं
बला की धूप थी मैं जल रहा था
जहाँ तक डूबने का डर है तुम को
बे-मक़्सद महफ़िल से बेहतर तन्हाई
ख़ुद अपने साथ धोका क्यूँ करूँ मैं
कभी सोचूँ कि ख़ुद मैं लौट आऊँ
करता है कार-ए-रौशनी मुझ को जला के दिन
क़ल्ब की बंजर ज़मीं पर ख़्वाहिशें बोते हुए
रात इक हादसा हुआ मुझ में
हादसा कौन सा हुआ पहले