काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके
यूँ भी नहीं कि आप से ये भी न हो सके
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शीशे शीशे को पैवस्त-ए-जाँ मत करो
रोज़ ओ शब बेच दिए हैं मैं ने
हमारी साँसें मिली हैं गिन के
घर घर आपस में दुश्मनी भी है
लहर से लहर का नाता क्या है
सब के आँगन झाँकने वाले हम से ही क्यूँ बैर तुझे
लुटेरों के लिए सोती हैं आँखें
शब-रंग परिंदे रग-ओ-रेशे में उतर जाएँ
नींद को लोग मौत कहते हैं
ये किस करनी का फल होगा कैसी रुत में जागे हम