अहसन यूसुफ़ ज़ई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहसन यूसुफ़ ज़ई
नाम | अहसन यूसुफ़ ज़ई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahsan Yusuf Zai |
जन्म स्थान | Aurangabad |
सब के आँगन झाँकने वाले हम से ही क्यूँ बैर तुझे
रोज़ ओ शब बेच दिए हैं मैं ने
नींद को लोग मौत कहते हैं
लुटेरों के लिए सोती हैं आँखें
काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके
हमारी साँसें मिली हैं गिन के
बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास
ये किस करनी का फल होगा कैसी रुत में जागे हम
शीशे शीशे को पैवस्त-ए-जाँ मत करो
शब-रंग परिंदे रग-ओ-रेशे में उतर जाएँ
लहर से लहर का नाता क्या है
काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके
जहाँ शीशा है पत्थर जागते हैं
हाँ नहीं के बीच धुँदलाई सी शाम
हमारी साँसें मिली हैं गिन के
घर घर आपस में दुश्मनी भी है