Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8fc326059d7300f51a8aa27e706168bc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
काट गई कोहरे की चादर सर्द हवा की तेज़ी माप - अहसन शफ़ीक़ कविता - Darsaal

काट गई कोहरे की चादर सर्द हवा की तेज़ी माप

काट गई कोहरे की चादर सर्द हवा की तेज़ी माप

उकड़ूँ बैठा इस वादी की तन्हाई में थर-थर काँप

मरमर की ऊँचाई चढ़ते फिसला है तो रोना क्या

पाँव पसारे कीचड़ में उखड़ी साँसों की माला जाप

उड़ते पंछी प्यासी नज़रों की पहचान से आरी हैं

तेज़ हुई जाती हैं किरनें थाप सहेली गोबर थाप

फूटी चूड़ी टूटी धनक रंगों का सेहर बिखरता सा

सूने उफ़ुक़ पर बहते बादल गर्म तवे से उठती भाप

बाँसों के जंगल की चिलमन हुस्न झलकता मंज़िल का

बढ़ते हुए क़दमों की ताक में सूखे हुए पत्तों पर साँप

गर्म-ए-सफ़र है गर्म-ए-सफ़र रह मुड़ मुड़ कर मत पीछे देख

एक दो मंज़िल साथ चलेगी पटके हुए क़दमों की चाप

झूम रही है भँवर में कश्ती साहिल-ओ-तूफ़ाँ रक़्स में हैं

थकी हुई आँखें सो जाएँ ऐसा कोई राग अलाप

देख फफूंद लगी दीवारें मज्लिस भी बन सकती हैं

तूफ़ानी मौसम है 'शफ़ीक़' अब और कहीं का रस्ता नाप

(780) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map In Hindi By Famous Poet Ahsan Shafiq. KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map is written by Ahsan Shafiq. Complete Poem KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map in Hindi by Ahsan Shafiq. Download free KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map Poem for Youth in PDF. KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map is a Poem on Inspiration for young students. Share KaT Gai Kohre Ki Chadar Sard Hawa Ki Tezi Map with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.