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नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा - अहसन मारहरवी कविता - Darsaal

नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा

नज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा

दुनिया में उछलता है बहुत नाम तुम्हारा

दरबाँ है न है ग़ैर-ए-बद-अंजाम तुम्हारा

काम आएगा आख़िर यही नाकाम तुम्हारा

दुश्नाम सुनो दे के दिल ऐ हुस्न-परस्तों

ये काम तुम्हारा है वो इनआम तुम्हारा

आग़ाज़-ए-मोहब्बत है हो ख़ुश हज़रत-ए-दिल क्या

अच्छा नज़र आता नहीं अंजाम तुम्हारा

'अहसन' की तबीअत से अभी तुम नहीं वाक़िफ़

है दिल से दुआ-गो सहर ओ शाम तुम्हारा

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