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क्या ज़रूरत बे-ज़रूरत देखना - अहसन मारहरवी कविता - Darsaal

क्या ज़रूरत बे-ज़रूरत देखना

क्या ज़रूरत बे-ज़रूरत देखना

तुम न आईने की सूरत देखना

फिर गईं बीमार-ए-ग़म को देख कर

अपनी आँखों की मुरव्वत देखना

हम कहाँ ऐ दिल कहाँ दीदार-ए-यार

हो गया तेरी बदौलत देखना

है वो जब दिल में तो कैसी जुस्तुजू

ढूँडने वालों की ग़फ़लत देखना

सामने तारीफ़ पीछे गालियाँ

उन की मुँह देखी मोहब्बत देखना

जिन को बाक़ी ही न हो उम्मीद कुछ

ऐसे मायूसों की हसरत देखना

मिरा ख़त ये कह के ग़ैरों को दिया

इक ज़रा इस की इबारत देखना

और कुछ तुम को न आएगा नज़र

दिल में रह कर दिल की हसरत देखना

सुब्ह उठ कर देखना 'अहसन' का मुँह

ऐसे वैसों की न सूरत देखना

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Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna In Hindi By Famous Poet Ahsan Marahravi. Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna is written by Ahsan Marahravi. Complete Poem Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna in Hindi by Ahsan Marahravi. Download free Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna Poem for Youth in PDF. Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna is a Poem on Inspiration for young students. Share Kya Zarurat Be-zarurat Dekhna with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.