Love Poetry of Ahmed Nisar
नाम | अहमद निसार |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmed Nisar |
वो तो मुझ में ही निहाँ था मुझे मालूम न था
तिरे पास रह कर सँवर जाऊँगा मैं
रिश्ता-ए-दिल उसी से मिलता है
मक़ाम-ए-हिज्र कहीं इम्तिहाँ से ख़ाली है
इश्क़ में बर्बाद होने के सिवा रक्खा न था
ग़म का पहाड़ मोम के जैसे पिघल गया
दिल को ब-नाम-ए-इश्क़ सजाना पड़ा हमें