जो अर्ज़ां है तो है उन की मता-ए-आबरू वर्ना
ज़रा सी चीज़ भी बेहद गिराँ है इस ज़माने में
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(751) Peoples Rate This
ज़रुरत-ए-इत्तिहाद
नई हद-बंदियाँ होने को हैं आईन-ए-गुलशन में
दुआ
हमारा देस
फ़सान-ए-इबरत
इंक़लाब
हुसूल-ए-आज़ादी की दिक़्क़तें
इल्म की ज़रूरत
मुस्तक़बिल
हिम्मत-ए-मर्दां
ख़िदमत-ए-वतन