Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bc949cf8fa459fc2933580d2f827537c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आसमाँ की आँख सूरज चाँद बीनाई भी है - अहमद ज़फ़र कविता - Darsaal

आसमाँ की आँख सूरज चाँद बीनाई भी है

आसमाँ की आँख सूरज चाँद बीनाई भी है

रौशनी मेरे लिए क्यूँ वज्ह-ए-रुस्वाई भी है

किस को सीने से लगाऊँ मैं किसे अपना कहूँ

सैल-ए-रंग-ओ-बू जिसे कहते हैं तन्हाई भी है

मस्लहत अंदेशा-ए-ग़म को ज़रा कम कर गई

फ़ल्सफ़ा वो झूट शामिल जिस में दानाई भी है

ज़हर-आलूदा फ़ज़ा में जब कली सोने लगी

अश्क-ए-शबनम ने कहा गुलशन में पुर्वाई भी है

फ़िक्र जैसे आइना-दर-आइना रौशन चराग़

तीरगी मेरे लिए एहसास-ए-रा'नाई भी है

मुन्कशिफ़ होते गए हम-सूरत-ए-संग-ए-वजूद

ज़िंदगी हुस्न-ए-अदम भी कार-फ़रमाई भी है

शेर कहने का सलीक़ा है यही अहमद-'ज़फ़र'

शाइरों ने बात समझी भी है समझाई भी है

(745) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai In Hindi By Famous Poet Ahmad Zafar. Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai is written by Ahmad Zafar. Complete Poem Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai in Hindi by Ahmad Zafar. Download free Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai Poem for Youth in PDF. Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Aasman Ki Aankh Suraj Chand Binai Bhi Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.