Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_66ac2dd9f9bb58312d1c9389286cf883, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे - अहमद शनास कविता - Darsaal

ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे

ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे

लहू में दर्द का शब-ताब देखे

मनाज़िर को बहुत मुद्दत हुई है

निगाहों में नया इक बाब देखे

सितारा शाम को जब आँख खोले

अचानक चाँद को पायाब देखे

वो चिंगारी सी दे क़ुर्बत की मुझ को

तो फिर सूरज की आब-ओ-ताब देखे

कई रातें हुईं खिड़की में घर की

तअल्लुक़ का नया महताब देखे

मैं लफ़्ज़ों की नई फ़सलें उगाऊँ

वो सन्नाटों के ताज़ा ख़्वाब देखे

मिरी आँखों में सावन रंग भर दे

मुझे ऐ काश वो सैराब देखे

न वो आवारगी का शौक़ 'अहमद'

न कोई दश्त को बेताब देखे

(934) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe In Hindi By Famous Poet Ahmad Shanas. Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe is written by Ahmad Shanas. Complete Poem Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe in Hindi by Ahmad Shanas. Download free Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe Poem for Youth in PDF. Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Zamana Ho Gaya Hai KHwab Dekhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.