Khawab Poetry of Ahmad Shanas
नाम | अहमद शनास |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Shanas |
पस-ए-ख़याल हूँ कितना ज़ुहूर कितना हूँ
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
ज़माना हो गया है ख़्वाब देखे
यहाँ हर लफ़्ज़ मअनी से जुदा है
तसव्वुर को जगा रक्खा है उस ने
सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ
फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का
मोहब्बतों को कहीं और पाल कर देखो
मेरी रातों का सफ़र तूर नहीं हो सकता