Sad Poetry of Ahmad Shahryar
नाम | अहमद शहरयार |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Shahryar |
जन्म की तारीख | 1983 |
जन्म स्थान | Iran |
जल उठें यादों की क़ंदीलें, सदाएँ डूब जाएँ
इल्म का दम भरना छोड़ो भी और अमल को भूल भी जाओ
यादों की तज्सीम पे मेहनत होती है
वो मर गया सदा-ए-नौहा-गर में कितनी देर है
फैल रहा है ये जो ख़ाली होने का डर मुझ में
नए ज़मानों की चाप तो सर पे आ खड़ी थी
कुन-फ़यकूं का हासिल यानी मिट्टी आग हवा और पानी
ख़ुश नहीं आए बयाबाँ मिरी वीरानी को
इनइकास-ए-तिश्नगी सहरा भी है दरिया भी है
ग़ुबार-ए-वक़्त के गर आर-पार देखिएगा
दुनिया से हर रिश्ता तोड़ा ख़ुद से रु-गर्दानी की
अश्क भेजें मौज उभारें अब्र जारी कीजिए
आईना बन के अपना तमाशा दिखाएँ हम