फ़ड़फ़ड़ाता हुआ परिंदा है

फ़ड़फ़ड़ाता हुआ परिंदा है

मान लो कि दुआ परिंदा है

इस कड़ी धूप में मिरे हमराह

रेत आँसू हवा परिंदा है

ख़्वाहिशों का सफ़र नहीं रुकता

ये अजब भागता परिंदा है

झील सूखी तो वो पलट आया

दिल के हाथों मुड़ा परिंदा है

मौत उस को कहो बजा लेकिन

अस्ल में तो उड़ा परिंदा है

आने वाली बहार है 'बाबर'

मेरी छत पर रुका परिंदा है

(836) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

PhaDphaData Hua Parinda Hai In Hindi By Famous Poet Ahmad Sajjad Babar. PhaDphaData Hua Parinda Hai is written by Ahmad Sajjad Babar. Complete Poem PhaDphaData Hua Parinda Hai in Hindi by Ahmad Sajjad Babar. Download free PhaDphaData Hua Parinda Hai Poem for Youth in PDF. PhaDphaData Hua Parinda Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share PhaDphaData Hua Parinda Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.