जिस जगह आगही मुक़य्यद है

जिस जगह आगही मुक़य्यद है

उस जगह ज़िंदगी मुक़य्यद है

बुझ रहे हैं गुलाब से चेहरे

क्या यहाँ ताज़गी मुक़य्यद है

चाँद जिस का तवाफ़ करता था

अब वहाँ ख़ाक सी मुक़य्यद है

एक अर्ज़ी लिए मैं हाज़िर हूँ

मुंसिफ़ा रौशनी मुक़य्यद है

ख़ाक-ए-कर्बल में आज भी लोगो

इक अजब तिश्नगी मुक़य्यद है

कच्चे घर के नसीब में 'बाबर'

जा-ब-जा ख़स्तगी मुक़य्यद है

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Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai In Hindi By Famous Poet Ahmad Sajjad Babar. Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai is written by Ahmad Sajjad Babar. Complete Poem Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai in Hindi by Ahmad Sajjad Babar. Download free Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai Poem for Youth in PDF. Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Jagah Aagahi Muqayyad Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.