Heart Broken Poetry of Ahmad Sagheer Siddiqui
नाम | अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Sagheer Siddiqui |
ज़ख़्म इतने हैं बदन पर कि कहीं दर्द नहीं
सारी दुनिया से अलग वहशत-ए-दिल है अपनी
कोई तस्वीर बना ले कि तुझे याद रहें
कब से मैं सफ़र में हूँ मगर ये नहीं मा'लूम
गर्द की तरह सर-ए-राहगुज़र बैठे हैं
चाहे हैं तमाशा मिरे अंदर कई मौसम
हैं शाख़ शाख़ परेशाँ तमाम घर मेरे
इक ख़्वाब है ये प्यास भी दरिया भी ख़्वाब है
इक जिस्म हैं कि सर से जुदा होने वाले हैं
और सी धूप घटा और सी रक्खी हुई है
आसमाँ-ज़ाद ज़मीनों पे कहीं नाचते हैं