क्या क्या मोहब्बतों के ज़माने बदल गए

क्या क्या मोहब्बतों के ज़माने बदल गए

अब तुम कभी मिले हो तो आँसू निकल गए

फ़र्त-ए-ग़म-ए-हवादिस-ए-दौराँ के बावजूद

जब भी तिरे दयार से गुज़रे मचल गए

मैं नुक्ता-चीं नहीं हूँ मगर ये बताइए

वो कौन थे जो हँस के गुलों को मसल गए

कुछ दस्त-ए-गुल-फ़रोश में सँवला के रह गए

कुछ बाग़बाँ की बर्क़-नवाज़ी से जल गए

तुम ने हमें फ़रेब-ए-क़यादत दिया तो है

लेकिन कभी हुआ है कि तूफ़ान टल गए

इक वो भी थे जो बह गए मौजों के साथ साथ

इक हम भी हैं जो खा के थपेड़े सँभल गए

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Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae In Hindi By Famous Poet Ahmad Riyaz. Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae is written by Ahmad Riyaz. Complete Poem Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae in Hindi by Ahmad Riyaz. Download free Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae Poem for Youth in PDF. Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae is a Poem on Inspiration for young students. Share Kya Kya Mohabbaton Ke Zamane Badal Gae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.