ज़िंदगी के वो किसी मोड़ पे गाहे गाहे
मिल तो जाते हैं मुलाक़ात कहाँ होती है
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दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा
मैं तो मस्जिद से चला था किसी काबा की तरफ़
मैं दिल-ज़दा हूँ अगर दिल-फ़िगार वो भी हैं
ग़म-गुसारी
ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं
दूर तेरी महफ़िल से रात दिन सुलगता हूँ
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
तन्हाइयों के दश्त में अक्सर मिला मुझे
ग़म-ए-हयात में कोई कमी नहीं आई
वक़्त की बात
सराब
दिल के वीरान रास्ते भी देख