जिस तरफ़ जाएँ जहाँ जाएँ भरी दुनिया में
रास्ता रोके तिरी याद खड़ी होती है
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मिरे हबीब मिरी मुस्कुराहटों पे न जा
महफ़िल महफ़िल सन्नाटे हैं
नज़्म
दर्द-ए-मुश्तरक
मैं सोचता हूँ ज़माने का हाल क्या होगा
दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा
कहीं ये अपनी मोहब्बत की इंतिहा तो नहीं
जिस राह से भी गुज़र गए हम
वक़्त की बात
वो बे-नियाज़ मुझे उलझनों में डाल गया
कोई बतलाए कि क्या हैं यारो
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले