अब न काबा की तमन्ना न किसी बुत की हवस
अब न काबा की तमन्ना न किसी बुत की हवस
अब तो ज़िंदा हूँ किसी मरकज़-ए-इंसाँ के लिए
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अब न काबा की तमन्ना न किसी बुत की हवस
अब तो ज़िंदा हूँ किसी मरकज़-ए-इंसाँ के लिए
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