कल और आज

कल जिस जगह ये छाँव घनी थी

जहाँ पे तुम ने मुझ से व'अदा

लिया था दोबारा मिलने का

मैं उस जगह पे आया था

मगर वहाँ धूप कड़ी थी

तुम तो न थीं लेकिन

तुम से मिलती-जुलती

झुर्रियाँ झुर्रियाँ चेहरे वाली

कोई औरत

कभी जो ख़ुद भी

किसी से मिलने

इसी जगह पर आई होगी

क़हर-आलूद निगाहों से मुझे घूर रही थी

मैं लौट आया

तेरे और मेरे जज़्बों के

बीच में एक फ़सील खड़ी थी

और ऊपर से धूप कड़ी थी!

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Kal Aur Aaj In Hindi By Famous Poet Ahmad Rahi. Kal Aur Aaj is written by Ahmad Rahi. Complete Poem Kal Aur Aaj in Hindi by Ahmad Rahi. Download free Kal Aur Aaj Poem for Youth in PDF. Kal Aur Aaj is a Poem on Inspiration for young students. Share Kal Aur Aaj with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.