गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है

गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है

सई-ए-नाकाम सही फिर भी कोई काम तो है

दिल की बेताबी का आख़िर कहीं अंजाम तो है

मेरी क़िस्मत में नहीं दहर में आराम तो है

माइल-ए-लुत्फ़-ओ-करम हुस्न-ए-दिल-आराम तो है

मेरी ख़ातिर न सही कोई सर-ए-बाम तो है

तू नहीं मेरा मसीहा मिरा क़ातिल ही सही

मुझ से वाबस्ता किसी तौर तिरा नाम तो है

हल्क़ा-ए-मौज में इक और सफ़ीना आया

साहिल-ए-बहर पे कोहराम का हंगाम तो है

तंग-दस्तो तही-दामानो करो शुक्र-ए-ख़ुदा

मय-ए-गुलफ़ाम नहीं है शफ़क़-ए-शाम तो है

(1146) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai In Hindi By Famous Poet Ahmad Rahi. Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai is written by Ahmad Rahi. Complete Poem Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai in Hindi by Ahmad Rahi. Download free Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai Poem for Youth in PDF. Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Gardish-e-jam Nahin Gardish-e-ayyam To Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.