Khawab Poetry of Ahmad Rahi
नाम | अहमद राही |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Rahi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2002 |
जन्म स्थान | Lahore |
अब इस के तसव्वुर से भी झुकने लगीं आँखें
वक़्त की बात
ये दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल कहाँ कही जाए
वो बे-नियाज़ मुझे उलझनों में डाल गया
तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है
तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है
कोई माज़ी के झरोकों से सदा देता है
कभी तिरी कभी अपनी हयात का ग़म है
कभी हयात का ग़म है कभी तिरा ग़म है
ग़म-ए-हयात में कोई कमी नहीं आई