Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e37df58fb4037dee61dc5fb2e60567c9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक दरख़्वास्त - अहमद नदीम क़ासमी कविता - Darsaal

एक दरख़्वास्त

ज़िंदगी के जितने दरवाज़े हैं मुझ पे बंद हैं

देखना हद्द-ए-नज़र से आगे बढ़ कर देखना भी जुर्म है

सोचना अपने अक़ीदों और यक़ीनों से निकल कर सोचना भी जुर्म है

आसमाँ-दर-आसमाँ असरार की परतें हटा कर झाँकना भी जुर्म है

क्यूँ भी कहना जुर्म है कैसे भी कहना जुर्म है

साँस लेने की तो आज़ादी मयस्सर है मगर

ज़िंदा रहने के लिए इंसान को कुछ और भी दरकार है

और इस कुछ और भी का तज़्किरा भी जुर्म है

ऐ ख़ुदावंदान-ए-ऐवान-ए-अक़ाएद

ऐ हुनर-मन्दान-ए-आईन-ओ-सियासत

ज़िंदगी के नाम पर बस इक इनायत चाहिए

मुझ को इन सारे जराएम की इजाज़त चाहिए

(3259) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek DarKHwast In Hindi By Famous Poet Ahmad Nadeem Qasmi. Ek DarKHwast is written by Ahmad Nadeem Qasmi. Complete Poem Ek DarKHwast in Hindi by Ahmad Nadeem Qasmi. Download free Ek DarKHwast Poem for Youth in PDF. Ek DarKHwast is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek DarKHwast with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.