Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e6915b69123383cb01b074f3f5f1a404, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फिर भयानक तीरगी में आ गए - अहमद नदीम क़ासमी कविता - Darsaal

फिर भयानक तीरगी में आ गए

फिर भयानक तीरगी में आ गए

हम गजर बजने से धोका खा गए

हाए ख़्वाबों की ख़याबाँ-साज़ियाँ

आँख क्या खोली चमन मुरझा गए

कौन थे आख़िर जो मंज़िल के क़रीब

आइने की चादरें फैला गए

किस तजल्ली का दिया हम को फ़रेब

किस धुँदलके में हमें पहुँचा गए

उन का आना हश्र से कुछ कम न था

और जब पलटे क़यामत ढा गए

इक पहेली का हमें दे कर जवाब

इक पहेली बन के हर सू छा गए

फिर वही अख़्तर-शुमारी का निज़ाम

हम तो इस तकरार से उकता गए

रहनुमाओ रात अभी बाक़ी सही

आज सय्यारे अगर टकरा गए

क्या रसा निकली दुआ-ए-इज्तिहाद

वो छुपाते ही रहे हम पा गए

बस वही मेमार-ए-फ़र्दा हैं 'नदीम'

जिन को मेरे वलवले रास आ गए

(1194) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae In Hindi By Famous Poet Ahmad Nadeem Qasmi. Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae is written by Ahmad Nadeem Qasmi. Complete Poem Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae in Hindi by Ahmad Nadeem Qasmi. Download free Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae Poem for Youth in PDF. Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae is a Poem on Inspiration for young students. Share Phir Bhayanak Tirgi Mein Aa Gae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.