Heart Broken Poetry of Ahmad Nadeem Qasmi (page 2)
नाम | अहमद नदीम क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Nadeem Qasmi |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
दश्त-ए-वफ़ा
बीसवीं सदी का इंसान
अज़ली मसर्रतों की अज़ली मंज़िल
अक़ीदे
यूँ तो पहने हुए पैराहन-ए-ख़ार आता हूँ
यूँ बे-कार न बैठो दिन भर यूँ पैहम आँसू न बहाओ
वो कोई और न था चंद ख़ुश्क पत्ते थे
उम्र भर उस ने इसी तरह लुभाया है मुझे
तू जो बदला तो ज़माना भी बदल जाएगा
तू बिगड़ता भी है ख़ास अपने ही अंदाज़ के साथ
तेरी महफ़िल भी मुदावा नहीं तन्हाई का
तंग आ जाते हैं दरिया जो कुहिस्तानों में
शुऊर में कभी एहसास में बसाऊँ उसे
शाम को सुब्ह-ए-चमन याद आई
साँस लेना भी सज़ा लगता है
फूलों से लहू कैसे टपकता हुआ देखूँ
मुदावा हब्स का होने लगा आहिस्ता आहिस्ता
मरूँ तो मैं किसी चेहरे में रंग भर जाऊँ
मैं वो शाएर हूँ जो शाहों का सना-ख़्वाँ न हुआ
मैं किसी शख़्स से बेज़ार नहीं हो सकता
मैं हूँ या तू है ख़ुद अपने से गुरेज़ाँ जैसे
लबों पे नर्म तबस्सुम रचा के धुल जाएँ
लब-ए-ख़ामोश से इफ़्शा होगा
खड़ा था कब से ज़मीं पीठ पर उठाए हुए
जो लोग दुश्मन-ए-जाँ थे वही सहारे थे
जी चाहता है फ़लक पे जाऊँ
जब तिरा हुक्म मिला तर्क मोहब्बत कर दी
जब भी आँखों में तिरी रुख़्सत का मंज़र आ गया
जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम
हम उन के नक़्श-ए-क़दम ही को जादा करते रहे