अहमद नदीम क़ासमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद नदीम क़ासमी
नाम | अहमद नदीम क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Nadeem Qasmi |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
चाँद उस रात भी निकला था मगर उस का वजूद
मुझे तलाश करो
ज़िक्र-ए-मिर्रीख़-ओ-मुश्तरी के साथ
यूँ मिरे ज़ेहन में लर्ज़ां है तिरा अक्स-ए-जमील
ये फ़ज़ा, ये घाटियाँ, ये बदलियाँ ये बूंदियाँ
ये भी क्या चाल है हर गाम पे महशर का गुमाँ
वो तार के इक खम्बे पे बैठी है अबाबील
वो सब्ज़ खेत के उस पार एक चटान के पास
वो पानी भरने चली इक जवान पंसारी
वो दूर झील के पानी में तैरता है चाँद
उदास चाँद ने बदली की आड़ में हो कर
तिमतिमाते हैं सुलगते हुए रुख़्सार तिरे
तिरी ज़ुल्फ़ें हैं कि सावन की घटा छाई है
सावन की ये रुत और ये झूलों की क़तारें
रुख़्सार हैं या अक्स है बर्ग-ए-गुल-ए-तर का
रेश-ए-गुल को रग-ए-संग बनाने वालो
रंग-ए-हर्फ़-ए-सदा की दुनिया में
पौ फटे रेंगते झरने पे ये कौन आया है
मुमकिन है फ़ज़ाओं से ख़लाओं के जहाँ तक
मिरी शिकस्त पे इक परतव-ए-जमाल तो है
मैं ने इस दश्त की वुसअत में शबिस्ताँ पाए
लड़कियाँ चुनती हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ
कुंज-ए-ज़िंदाँ में पड़ा सोचता हूँ
ख़मोश झील पे क्यूँ डोलने लगा बजरा
खड़खड़ाती डोल वो धम से कुएँ में गिर गई
कई बरस से है वीरान मर्ग़ज़ार-ए-शबाब
कभी न पलटेगी बीती हुई घड़ी लेकिन
जिसे हर शेर पर देते थे तुम दाद
जब चटानों से लिपटता है समुंदर का शबाब
ईद का दिन है फ़ज़ा में गूँजते हैं क़हक़हे