Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a22126960c9c56500a8d83621ac8d659, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ - अहमद मुश्ताक़ कविता - Darsaal

तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ

तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ

तुम्हारे साथ भी कुछ दूर जा कर देख लेता हूँ

हवाएँ जिन की अंधी खिड़कियों पर सर पटकती हैं

मैं उन कमरों में फिर शमएँ जला कर देख लेता हूँ

अजब क्या इस क़रीने से कोई सूरत निकल आए

तिरी बातों को ख़्वाबों से मिला कर देख लेता हूँ

सहर-ए-दम किर्चियाँ टूटे हुए ख़्वाबों की मिलती हैं

तो बिस्तर झाड़ कर चादर हटा कर देख लेता हूँ

बहुत दिल को दुखाता है कभी जब दर्द-ए-महजूरी

तिरी यादों की जानिब मुस्कुरा कर देख लेता हूँ

उड़ा कर रंग कुछ होंटों से कुछ आँखों से कुछ दिल से

गए लम्हों को तस्वीरें बना कर देख लेता हूँ

नहीं हो तुम भी वो अब मुझ से यारो क्या छुपाओगे

हवा की सम्त को मिट्टी उड़ा कर देख लेता हूँ

सुना है बे-नियाज़ी ही इलाज-ए-ना-उमीदी है

ये नुस्ख़ा भी कोई दिन आज़मा कर देख लेता हूँ

मोहब्बत मर गई 'मुश्ताक़' लेकिन तुम न मानोगे

मैं ये अफ़्वाह भी तुम को सुना कर देख लेता हूँ

(963) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun In Hindi By Famous Poet Ahmad Mushtaq. Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun is written by Ahmad Mushtaq. Complete Poem Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun in Hindi by Ahmad Mushtaq. Download free Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun Poem for Youth in PDF. Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Tum Aae Ho Tumhein Bhi Aazma Kar Dekh Leta Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.