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Ahmad Mushtaq Khawab In Hindi - Best Khawab Of Ahmad Mushtaq Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Khawab Poetry of Ahmad Mushtaq

Khawab Poetry of Ahmad Mushtaq
नामअहमद मुश्ताक़
अंग्रेज़ी नामAhmad Mushtaq
जन्म की तारीख1933
जन्म स्थानLahore

नींदों में फिर रहा हूँ उसे ढूँढता हुआ

हिज्र इक वक़्फ़ा-ए-बेदार है दो नींदों में

ज़ुल्फ़ देखी वो धुआँ-धार वो चेहरा देखा

ये कौन ख़्वाब में छू कर चला गया मिरे लब

था मुझ से हम-कलाम मगर देखने में था

शाम-ए-ग़म याद है कब शम्अ' जली याद नहीं

सफ़र नया था न कोई नया मुसाफ़िर था

रौशनी रहती थी दिल में ज़ख़्म जब तक ताज़ा था

रात फिर रंग पे थी उस के बदन की ख़ुशबू

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

मोनिस-ए-दिल कोई नग़्मा कोई तहरीर नहीं

मलाल-ए-दिल से इलाज-ए-ग़म-ए-ज़माना किया

किस शय पे यहाँ वक़्त का साया नहीं होता

किस रक़्स-ए-जान-आे-तन में मिरा दिल नहीं रहा

किस झुटपुटे के रंग उजालों में आ गए

ख़्वाब के फूलों की ताबीरें कहानी हो गईं

ख़ून-ए-दिल से किश्त-ए-ग़म को सींचता रहता हूँ मैं

खड़े हैं दिल में जो बर्ग-ओ-समर लगाए हुए

हम गिरे हैं जो आ के इतनी दूर

दुख की चीख़ें प्यार की सरगोशियाँ रह जाएँगी

छिन गई तेरी तमन्ना भी तमन्नाई से

चश्म ओ लब कैसे हों रुख़्सार हों कैसे तेरे

भूले-बिसरे मौसमों के दरमियाँ रहता हूँ मैं

अश्क दामन में भरे ख़्वाब कमर पर रक्खा

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