दिलों पे ज़ख़्म लगा के हज़ार गुज़री बहार

दिलों पे ज़ख़्म लगा के हज़ार गुज़री बहार

गई है छोड़ के इक यादगार गुज़री बहार

मिरे क़रीब जो कोई गुल-ए-बदन महका

तो आई याद कोई ख़ुश-गवार गुज़री बहार

किसी तरह मुझे पागल न कर सकी वर्ना

तिरे बग़ैर भी आई बहार गुज़री बहार

हर एक सर्व-ए-रवाँ पर गुमाँ कि जैसे वही

हो मेरा माज़ी मिरी यादगार गुज़री बहार

मिरे नसीब का नौहा ख़िज़ाँ ये अहद-ए-ख़िज़ाँ

तिरे करम का फ़साना बहार गुज़री बहार

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Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar In Hindi By Famous Poet Ahmad Masoom. Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar is written by Ahmad Masoom. Complete Poem Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar in Hindi by Ahmad Masoom. Download free Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar Poem for Youth in PDF. Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar is a Poem on Inspiration for young students. Share Dilon Pe ZaKHm Laga Ke Hazar Guzri Bahaar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.