Hope Poetry of Ahmad Mahfuz
नाम | अहमद महफ़ूज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Mahfuz |
जन्म की तारीख | 1966 |
जन्म स्थान | Delhi |
दामन को ज़रा झटक तो देखो
ज़ख़्म खाना ही जब मुक़द्दर हो
ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास
उठिए कि फिर ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा
उठ जा कि अब ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा
उस से रिश्ता है अभी तक मेरा
उन आँखों में रंग-ए-मय नहीं है
उधर से आए तो फिर लौट कर नहीं गए हम
किसी से क्या कहें सुनें अगर ग़ुबार हो गए
छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ
आया ही नहीं कोई बोझ अपना उठाने को