ज़ख़्मों को अश्क-ए-ख़ूँ से सैराब कर रहा हूँ
ज़ख़्मों को अश्क-ए-ख़ूँ से सैराब कर रहा हूँ
अब और भी तुम्हारा चेहरा खिला रहेगा
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ज़ख़्मों को अश्क-ए-ख़ूँ से सैराब कर रहा हूँ
अब और भी तुम्हारा चेहरा खिला रहेगा
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