Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4ac7da49304d16290decf71416f3618c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फेंकते संग-ए-सदा दरिया-ए-वीरानी में हम - अहमद महफ़ूज़ कविता - Darsaal

फेंकते संग-ए-सदा दरिया-ए-वीरानी में हम

फेंकते संग-ए-सदा दरिया-ए-वीरानी में हम

फिर उभरते दायरा-दर-दायरा पानी में हम

इक ज़रा यूँही बसर कर लें गिराँ-जानी में हम

फिर तुम्हें शाम-ओ-सहर रक्खेंगे हैरानी में हम

इक हवा आख़िर उड़ा ही ले गई गर्द-ए-वजूद

सोचिए क्या ख़ाक थे उस की निगहबानी में हम

वो तो कहिए दिल की कैफ़िय्यत ही आईना न थी

वर्ना क्या क्या देखते इस घर की वीरानी में हम

महव-ए-हैरत थे कि बे-मौसम नदी पायाब थी

बस खड़े देखा किए उतरे नहीं पानी में हम

उस से मिलना और बिछड़ना देर तक फिर सोचना

कितनी दुश्वारी के साथ आए थे आसानी में हम

(730) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum In Hindi By Famous Poet Ahmad Mahfuz. Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum is written by Ahmad Mahfuz. Complete Poem Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum in Hindi by Ahmad Mahfuz. Download free Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum Poem for Youth in PDF. Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Phenkte Sang-e-sada Dariya-e-virani Mein Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.