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Ahmad Khayal Sad In Hindi - Best Sad Of Ahmad Khayal Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Sad Poetry of Ahmad Khayal

Sad Poetry of Ahmad Khayal
नामअहमद ख़याल
अंग्रेज़ी नामAhmad Khayal
जन्म की तारीख1979

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए

कोई तो दश्त समुंदर में ढल गया आख़िर

कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें

दश्त में वादी-ए-शादाब को छू कर आया

ज़िंदगी ख़ौफ़ से तश्कील नहीं करनी मुझे

उन को में कर्बला के महीने में लाऊँगा

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए

मिरे अंदर रवानी ख़त्म होती जा रही है

मैं वहशत-ओ-जुनूँ में तमाशा नहीं बना

कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें

कोई अन-देखी फ़ज़ा तस्वीर करना चाहिए

कल रात इक अजीब पहेली हुई हवा

जुनूँ को रख़्त किया ख़ाक को लिबादा किया

जो तिरे ग़म की गिरानी से निकल सकता है

फ़ना के दश्त में कब का उतर गया था मैं

फ़लक के रंग ज़मीं पर उतारता हुआ मैं

दश्त ओ जुनूँ का सिलसिला मेरे लहू में आ गया

दश्त में वादी-ए-शादाब को छू कर आया

दरिया में दश्त दश्त में दरिया सराब है

बस्ती से चंद रोज़ किनारा करूँगा मैं

ऐ तअ'स्सुब ज़दा दुनिया तिरे किरदार पे ख़ाक

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