दिल किसी बज़्म में जाते ही मचलता है 'ख़याल'
दिल किसी बज़्म में जाते ही मचलता है 'ख़याल'
सो तबीअत कहीं बे-ज़ार नहीं भी होती
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सो तबीअत कहीं बे-ज़ार नहीं भी होती
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