रास आएगी मोहब्बत उस को
जिस से होते नहीं वादे पूरे
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(769) Peoples Rate This
कोई मंसब कोई दस्तार नहीं चाहिए है
मिट्टी से बग़ावत न बग़ावत से गुरेज़ाँ
इक पल का तवक़्क़ुफ़ भी गिराँ-बार है तुझ पर
तू ज़ियादा में से बाहर नहीं आया करता
तेरे हिस्से के भी सदमात उठा लेता हूँ
कुर्रा-ए-हिज्र से होना है नुमूदार मुझे
चाहिए है मुझे इंकार-ए-मोहब्बत मिरे दोस्त
चंद पेड़ों को ही मजनूँ की दुआ होती है
पाँव बाँधे हैं वफ़ा से जब ने
दाना-ए-गंदुम-ए-बेदार उठाने लगा हूँ
तू ने ऐ इश्क़ ये सोचा कि तिरा क्या होगा