पाँव बाँधे हैं वफ़ा से जब ने
तेज़-रफ़्तार दिखाई दिया हूँ
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इक पल का तवक़्क़ुफ़ भी गिराँ-बार है तुझ पर
ये जो बेदार दिखाई दिया हूँ
चराग़ ताक़-ए-तिलिस्मात में दिखाई दिया
मिरी वफ़ा है मिरे मुँह पे हाथ रक्खे हुए
मिट्टी से बग़ावत न बग़ावत से गुरेज़ाँ
रास आएगी मोहब्बत उस को
तुम्हारे हिज्र को काफ़ी नहीं समझता मैं
कुर्रा-ए-हिज्र से होना है नुमूदार मुझे
दाना-ए-गंदुम-ए-बेदार उठाने लगा हूँ
चंद पेड़ों को ही मजनूँ की दुआ होती है
मुझ पे तस्वीर लगा दी गई है