Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_08077dba3a2a09e9786d0da656241421, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़िंदा रहने का तक़ाज़ा नहीं छोड़ा जाता - अहमद कामरान कविता - Darsaal

ज़िंदा रहने का तक़ाज़ा नहीं छोड़ा जाता

ज़िंदा रहने का तक़ाज़ा नहीं छोड़ा जाता

हम ने तुझ को नहीं छोड़ा नहीं छोड़ा जाता

ऐन मुमकिन है तिरे हिज्र से मिल जाए नजात

क्या करें यार ये सहरा नहीं छोड़ा जाता

छोड़ जाती है बदन रूह भी जाते जाते

क़ैद से कोई भी पूरा नहीं छोड़ा जाता

इस क़दर टूट के मिलने में है नुक़सान कि जब

खेत प्यासे हों तो दरिया नहीं छोड़ा जाता

छोड़ना तुझ को मिरी जाँ है बहुत ब'अद की बात

हम से तो शहर भी तेरा नहीं छोड़ा जाता

रौशनी ख़ूब है लेकिन मिरे हय्युन-ओ-क़य्यूम

यार अँधेरे में अकेला नहीं छोड़ा जाता

(1435) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata In Hindi By Famous Poet Ahmad Kamran. Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata is written by Ahmad Kamran. Complete Poem Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata in Hindi by Ahmad Kamran. Download free Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata Poem for Youth in PDF. Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata is a Poem on Inspiration for young students. Share Zinda Rahne Ka Taqaza Nahin ChhoDa Jata with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.