मिट्टी से बग़ावत न बग़ावत से गुरेज़ाँ

मिट्टी से बग़ावत न बग़ावत से गुरेज़ाँ

हम सहमे हुए लोग हैं हिम्मत से गुरेज़ाँ

इक पल का तवक़्क़ुफ़ भी गिराँ-बार है तुझ पर

और हम कि थके-हारे मसाफ़त से गुरेज़ाँ

ऐ भूले हुए हिज्र कहीं मिल तो सही यार

इक दूजे से हम दोनों हैं मुद्दत से गुरेज़ाँ

जा तुझ को कोई जिस्म से आगे न पढ़ेगा

ऐ मुझ से ख़फ़ा मेरी मोहब्बत से गुरेज़ाँ

ऐ ज़िंदा बचे शख़्स ये सब ले के पलट जा

हम जंग में हैं माल-ए-ग़नीमत से गुरेज़ाँ

(855) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan In Hindi By Famous Poet Ahmad Kamran. MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan is written by Ahmad Kamran. Complete Poem MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan in Hindi by Ahmad Kamran. Download free MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan Poem for Youth in PDF. MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan is a Poem on Inspiration for young students. Share MiTTi Se Baghawat Na Baghawat Se Gurezan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.