चराग़ ताक़-ए-तिलिस्मात में दिखाई दिया

चराग़ ताक़-ए-तिलिस्मात में दिखाई दिया

फिर इस के ब'अद मेरे हाथ में दिखाई दिया

मैं ख़ुश हूँ कमरे में पहली दराड़ आने से

चलो मैं अपने मज़ाफ़ात में दिखाई दिया

कई चराग़ बना लूँगा तोड़ कर सूरज

अगर कभी ये मुझे रात में दिखाई दिया

हज़ार आँखों ने घेरे में ले लिया मुझ को

मैं एक शख़्स के ख़दशात में दिखाई दिया

इक और इश्क़ मुझे कह रहा था आ 'अहमद'

इक और हिज्र मिरी घात में दिखाई दिया

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Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya In Hindi By Famous Poet Ahmad Kamran. Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya is written by Ahmad Kamran. Complete Poem Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya in Hindi by Ahmad Kamran. Download free Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya Poem for Youth in PDF. Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya is a Poem on Inspiration for young students. Share Charagh Taq-e-tilismat Mein Dikhai Diya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.