Love Poetry of Ahmad Kamal Parwazi

Love Poetry of Ahmad Kamal Parwazi
नामअहमद कमाल परवाज़ी
अंग्रेज़ी नामAhmad Kamal Parwazi

वो अपने हुस्न की ख़ैरात देने वाले हैं

तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ

मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब

जो खो गया है कहीं ज़िंदगी के मेले में

ज़रा ज़रा सी कई कश्तियाँ बना लेना

ये गर्म रेत ये सहरा निभा के चलना है

वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है

तुम पे सूरज की किरन आए तो शक करता हूँ

तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ

तमाम भीड़ से आगे निकल के देखते हैं

शाम के ब'अद सितारों को सँभलने न दिया

फूल पर ओस का क़तरा भी ग़लत लगता है

बराए-ज़ेब उस को गौहर-ओ-अख़्तर नहीं लगता

अमल बर-वक़्त होना चाहिए था

अहमद कमाल परवाज़ी Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अहमद कमाल परवाज़ी. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अहमद कमाल परवाज़ी. Share the अहमद कमाल परवाज़ी Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.