आग तो चारों ही जानिब थी पर अच्छा ये है
होश-मंदी से किसी चीज़ को जलने न दिया
Wasi Shah
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(840) Peoples Rate This
तुम मेरे साथ हो ये सच तो नहीं है लेकिन
रफ़ाक़तों का तवाज़ुन अगर बिगड़ जाए
ये लग रहा है रग-ए-जाँ पे ला के छोड़ी है
अगर कट-फट गया था मेरा दामन
ख़ुदाया यूँ भी हो कि उस के हाथों क़त्ल हो जाऊँ
ये गर्म रेत ये सहरा निभा के चलना है
मैं क़सीदा तिरा लिक्खूँ तो कोई बात नहीं
मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ
ज़रा ज़रा सी कई कश्तियाँ बना लेना
तमाम भीड़ से आगे निकल के देखते हैं
तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ
एक ही तीर है तरकश में तो उजलत न करो