वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है

वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है

मैं कुछ कहूँ तो तराज़ू निकाल लेता है

वो फूल तोड़े हमें कोई ए'तिराज़ नहीं

मगर वो तोड़ के ख़ुशबू निकाल लेता है

मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ

तू झूट बोल के आँसू निकाल लेता है

अँधेरे चीर के जुगनू निकालने का हुनर

बहुत कठिन है मगर तू निकाल लेता है

वो बेवफ़ाई का इज़हार यूँ भी करता है

परिंदे मार के बाज़ू निकाल लेता है

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Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai In Hindi By Famous Poet Ahmad Kamal Parwazi. Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai is written by Ahmad Kamal Parwazi. Complete Poem Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai in Hindi by Ahmad Kamal Parwazi. Download free Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai Poem for Youth in PDF. Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Ab Tijarati Pahlu Nikal Leta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.