Love Poetry of Ahmad Javed
नाम | अहमद जावेद |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Javed |
जन्म की तारीख | 1948 |
कितने में बनती है मोहर ऐसी
ये क्या चीज़ तामीर करने चले हो
घर और बयाबाँ में कोई फ़र्क़ नहीं है
हुस्न नजात-दहिन्दा है
एक तअस्सुर
एक सूरमा के नाम
एक खेल
अन-पढ़ गूँगे का रजज़
आँखों की तज्दीदा
उस के लहजे का वो उतार चढ़ाओ
निहाल-ए-वस्ल नहीं संग-बार करने को
मगर वो दिया ही नहीं मान कर के
क्या पूछते हो शहर में घर और हमारा
कोई जल में ख़ुश है कोई जाल में
किया है दिल ने बेगाना जहान-ए-मुर्ग़-ओ-माही से
किसी का ध्यान मह-ए-नीम-माह में आया
गए थे वहाँ जी में क्या ठान कर के
दिल-ए-बेताब के हमराह सफ़र में रहना
चाक करते हैं गरेबाँ इस फ़रावानी से हम
बारिश का है ऐसा काल
आँसू की तरह दीदा-ए-पुर-आब में रहना
आख़िरुल-अम्र तिरी सम्त सफ़र करते हैं