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मुझ से बड़ा है मेरा हाल - अहमद जावेद कविता - Darsaal

मुझ से बड़ा है मेरा हाल

मुझ से बड़ा है मेरा हाल

तुझ से छूटा तेरा ख़याल

चार पहर की है ये रात

और जुदाई के सौ साल

हाथ उठा कर दिल पर से

आँखों पर रक्खा रुमाल

नंग है तकियेदारों का

पा-ए-तलब या दस्त-ए-सवाल

मन जो कहता है मत सुन

या फिर तन पर मिट्टी डाल

उजला उजला तेरा रूप

धुँदले धुँदले ख़द्द-ओ-ख़ाल

सुख की ख़ातिर दुख मत बेच

जाल के पीछे जाल न डाल

राज-सिंघासन मेरा दिल

आन बिराजे हैं जगपाल

किस दिन घर आया 'जावेद'

कब पाया है उस को बहाल

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