Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_24cec885da3debf31381a3715f4bff6d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल आईना है मगर इक निगाह करने को - अहमद जावेद कविता - Darsaal

दिल आईना है मगर इक निगाह करने को

दिल आईना है मगर इक निगाह करने को

ये घर बनाया है उस ने तबाह करने को

गुल-ए-विसाल अभी देखा न था कि आ पहुँची

शब-ए-फ़िराक़ भी आँखें सियाह करने को

गलीम ओ तख़्त उतारे हैं ग़ैब से उस ने

मुझे फ़क़ीर तुझे बादशाह करने को

सजे हैं दश्त ओ बयाबाँ अजब क़रीने से

तुझे सवार मुझे गर्द-ए-राह करने को

मिली मुझे तिरी हम-साएगी सो दुनिया में

तमीज़-ए-मर्तबा-ए-कोह-ओ-काह करने को

दमीदा हर शजर-ए-गर्द-बाद नख़्ल-ए-जुनूँ

हमारे चाक-ए-गरेबाँ से राह करने को

दिल-ए-गुदाख़्ता ओ चश्म-ए-तर ही काफ़ी है

फ़ुतूह-ए-ममलिकत-ए-मेहर-ओ-माह करने को

(1247) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko In Hindi By Famous Poet Ahmad Javed. Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko is written by Ahmad Javed. Complete Poem Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko in Hindi by Ahmad Javed. Download free Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko Poem for Youth in PDF. Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Aaina Hai Magar Ek Nigah Karne Ko with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.