क्या आई थीं हूरें तिरे घर रात को मेहमाँ
क्या आई थीं हूरें तिरे घर रात को मेहमाँ
कल ख़्वाब में उजड़ा हुआ फ़िरदौस-ए-बरीं था
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क्या आई थीं हूरें तिरे घर रात को मेहमाँ
कल ख़्वाब में उजड़ा हुआ फ़िरदौस-ए-बरीं था
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