Coupletss of Ahmad Husain Mail
नाम | अहमद हुसैन माइल |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Husain Mail |
वो रात आए कि सर तेरा ले के बाज़ू पर
वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़
वाइ'ज़ का ए'तिराज़ ये बुत हैं ख़ुदा नहीं
वा'दा किया है ग़ैर से और वो भी वस्ल का
तुम को मालूम जवानी का मज़ा है कि नहीं
तुम गले मिल कर जो कहते हो कि अब हद से न बढ़
तौबा खड़ी है दर पे जो फ़रियाद के लिए
सारी ख़िल्क़त राह में है और हो मंज़िल में तुम
रमज़ाँ में तू न जा रू-ब-रू उन के 'माइल'
प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं
नींद से उठ कर वो कहना याद है
नाज़ कर नाज़ तिरे नाज़ पे है नाज़ मुझे
नई सदा हो नए होंट हों नया लहजा
मुसलमाँ काफ़िरों में हूँ मुसलामानों में काफ़िर हूँ
मुझ से बिगड़ गए तो रक़ीबों की बन गई
मोहब्बत ने 'माइल' किया हर किसी को
मिटी कुछ बनी कुछ वो थी कुछ हुई कुछ
मेरा सलाम इश्क़ अलैहिस-सलाम को
मैं ही मोमिन मैं ही काफ़िर मैं ही काबा मैं ही दैर
क्या आई थीं हूरें तिरे घर रात को मेहमाँ
कुछ न पूछो ज़ाहिदों के बातिन ओ ज़ाहिर का हाल
खोल कर ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल को पढ़ी उस ने नमाज़
जो उन को लिपटा के गाल चूमा हया से आने लगा पसीना
जितने अच्छे हैं मैं हूँ उन में बुरा
जलसों में ख़ल्वतों में ख़यालों में ख़्वाब में
जा के मैं कू-ए-बुताँ में ये सदा देता हूँ
हंगाम-ए-क़नाअ'त दिल-ए-मुर्दा हुआ ज़िंदा
है हुक्म-ए-आम इश्क़ अलैहिस-सलाम का
ग़ैर का हाल तो कहता हूँ नुजूमी बन कर
गर बस चले तो आप फिरूँ अपने गर्द मैं