अहमद हुसैन माइल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद हुसैन माइल (page 1)
नाम | अहमद हुसैन माइल |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Husain Mail |
ये मुझ से न पूछ तू ने क्या क्या देखा
यारब मिरे दिल में है उजाला तेरा
साबित है तन में बादशाही दिल की
पीरी में शबाब की निशानी न मली
पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार उन से दे
नक़्शा लैल-ओ-नहार का खींचा है
माना वाइ'ज़ बड़ा ही अल्लामा है
मैं सर पे गुनाहों का लिए बार आया
मैं अपने कफ़न का सीने वाला निकला
कुछ लुत्फ़-ए-सुख़न वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं
कहते हैं कि रौनक़-ए-जमाली हूँ मैं
इक़रार नगर को गदाई का है
हमराह अदम से इज़्तिराब आया है
है सू-ए-फ़लक नज़र तमाशा क्या है
है अर्श भी यक फ़र्श क़दम का तेरे
ग़फ़लत के तुख़्म बोने वाले उठे
अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्म-ए-तर में
अल्लाह मताअ-ए-ज़िंदगानी मिल जाए
अफ़्ज़ूँ जो शबाब दम-ब-दम होता है
वो रात आए कि सर तेरा ले के बाज़ू पर
वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़
वाइ'ज़ का ए'तिराज़ ये बुत हैं ख़ुदा नहीं
वा'दा किया है ग़ैर से और वो भी वस्ल का
तुम को मालूम जवानी का मज़ा है कि नहीं
तुम गले मिल कर जो कहते हो कि अब हद से न बढ़
तौबा खड़ी है दर पे जो फ़रियाद के लिए
सारी ख़िल्क़त राह में है और हो मंज़िल में तुम
रमज़ाँ में तू न जा रू-ब-रू उन के 'माइल'
प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं
नींद से उठ कर वो कहना याद है